भैयादूज क्यों बनाया जाता है? आए जानें इस पौराणिक कथा से...

भैया दूज भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। पाठकों को बता दें कि यह पर्व यमराज और यमुना की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है।

भैया दूज, जिसे भातृ द्वितीया भी कहा जाता है, दीपावली के तीसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।

इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती हैं। आइए जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा और सांस्कृतिक महत्व।

पौराणिक कथा के मुताबिक,  यमराज की बहन यमुना ने उनसे आग्रह किया कि वे उसके घर भोजन करने आएं।

यमराज ने अपनी बहन यमुना को वचन दिया था कि वे कार्तिक शुक्ल द्वितीया को उसकी इच्छा पूर्ण करेंगे।

जब यमराज यमुना के घर आए, तो यमुना ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया, तिलक किया और उनकी लंबी उम्र की कामना की।

यमराज ने खुश होकर वचन दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।

इस दिन भाई की लंबी उम्र के लिए बहनें व्रत रखती हैं और भाई को घर बुलाकर आरती करती हैं।

इस दिन बहन तिलक लगाकर कलावा बांधती हैं और मिठाई खिलाती हैं। भाई बहन को उपहार देते हैं और साथ भोजन करना शुभ माना जाता है।