दिवाली का त्यौहार हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है, 14 वर्ष वनवास काटने के बाद भगवान राम, सीता और लक्ष्ण अयोध्या लौटे थे, जिसके स्वागत में अयोध्या वासियों नें अपने राजा के स्वागत्तम मे घी के दीप चलाएं। उस दिन से दिवाली का त्यौहार बनाए जाता हैं।
वहीं इस त्यौहार को सिख धर्म में गुरु हरगोबिंद की जेल से रिहाई होने की खुशी में मनाते हैं। इस दिन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में विशेष रोशनी की जाती है।
एक अन्य कहानी के मुताबिक, भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर, 16,000 कन्याओं को आजाद करवाया था, इस विजय की खुशी में लोगों द्वारा दीपावली मनाई जाती है।
दिवाली से पहले धनतेरस का पर्व आता है, जो आपको कभी समुद्र मंथन की कथा सुनी है? इस पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन धन्वंतरि देवता अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जिससे स्वास्थ्य और धन की प्राप्त करने का त्यौहार माना जाता है।
वहीं विज्ञान की दृष्टि से इस त्यौहार को बनाने के मुख्य कारण हैं, तो आईये आगे की स्लाइड में जानेंगे।
उत्तर भारत में जौ, कपास, बाजरा की फसल की कटाई करने पर और गेहूं की फसल की तैयारियों की खुशी में किसान इसे दिवाली के रुप में मनाते है।
बीते बरसात के मौसम में छतों पर जमी काई और बड़ी पुरानी वस्तुओं में जमा पानी को साफ करना, मकानों के कोनों पर दवाइयों का छिड़काव करने से मच्छरों से जन्मी बीमारियों से निजात पाने पर दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है।
मकानों में या फिर छतों पर घी के दीप इसलिए चलाएं जाते हैं, जिसके धुंए से बरसात के कारण हवा में अशुद्ध नमी खुली हुई होती है वो साफ हो जाती है और साफ सुथरी हवा हो जाती है। मगर आज के दौर में दिवाली पर पटाकों के कारण हवा को और प्रदूषित कर दिया जाता है।
पुराणिक कथा के अनुसार साफ-सफाई करने से घरों में लक्ष्मी आती है। मगर विज्ञान के दृष्टि में ये लक्ष्मी, घरो में बरसात के सीजन के बाद हुई साफ-सुथरी शीतल हवा और सूर्य की सुहानी किरणों का प्रवेश है।