अब पीएफ से पैसा निकालने का प्रोसेस को तीन क्लास में बांटा गया है। इनमें जरुरी जरुरतें, जैसे आवास संबंधी जरुरतें और विशेष परिस्थितियां शामिल हैं। इन कैटेगरी में आने वाले मामलों में पैसा निकालना अब आसान हो गया है।
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पहले पीएफ से विवाह और पढ़ाई के लिए ज्यादातर तीन बार पैसा निकाला जा सकता था। अब पढ़ाई के लिए 10 बार और विवाह के लिए 5 बार निकासी की स्वीकृति दी गई है। इससे परिवारों को बहुत राहत मिलेगा।
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आपातकालिन परिस्थितियों जैसे बाढ़, प्राकृतिक आपदा या नौकरी छूटने पर पीएफ निकालने के लिए अब कोई दस्तावेज जमा करना अनिवार्य नहीं है। सदस्य ऑनलाइन आवेदन देकर पीएफ की पूरी राशि निकाल सकते है।
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पहले कर्मचारियों को पीएफ बैलेंस का पूरा पैसा निकालने की स्वीकृति नहीं थी। अब सरकार ने शर्तों में ढ़ील देकर 100 फीसदी आंशिक निकासी की अनुमति दे दी है। कर्मचारी अपना और नियोक्ता दोनों का हिस्सा निकाल सकते हैं।
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EPFO के नए रुल्सों के मुताबिक अब कर्मचारी 12 महीने की सेवाएं पूरी होने के बाद पीएफ में जमा पैसा निकाल सकते हैं। पहले भिन्न-भिन्न जरुरतों के लिए भिन्न-भिन्न मिनिमम सेवाएं पीरियड लागू थे।
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सरकार ने पीएफ खाते में कम से कम 25 फीसदी राशि को मिनिमम बैलेंस के रुप में बनाए रखना अनिवाार्य कर दिया है। इससे कर्मचारियों को EPFO के 8.25 फीसदी वार्षिक ब्याज का फायदा लगातार मिलता रहेगा।
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पीएफ निकासी के लिए अब पूरा प्रोसेस ऑनलाइन कर दिया गया है। कर्मचारी बिना दस्तावेज अपलोड किए और बिना जटिल आवेदन भरने के आसानी से अपने पैसे का दावा कर सकते हैं।
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इन परिवर्तनों से कर्मचारियों को तत्काल आर्थिक जरुरतों में हेल्प मिलेगी। चाहे पढ़ाई हो, विवाह हो या आपात स्थिति, अब पीएफ निकासी में देरी और दस्तावेजी झंझट से राहत मिलेगी।
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